मसीही एक्शन कमेटियाँ: बाइबिल कसौटी पर सही या ग़लत?
भाइयों-बहनों,
Pastor Manish Salhotra
मैं हरेक मसीह को यह बताना चाहता हूं कि हम परमेश्वर के वचन के साथ कभी खिलवाड़ नहीं कर सकते क्योंकि परमेश्वर का वचन कभी भी हमे सांसारिक मुद्दों या सांसारिक पन में रहने के लिए नहीं कहता। अगर यीशु मसीह के समय में भी यह बातें होती या प्रेरितो के समय में यह बातें होती तो सबसे बड़ा एक्शन कमेटी प्रधान पोलुस प्रेरित ही बनकर सामने आ जाता लेकिन उसने एक ही बात कही कि यह सब बातें अब सांसारिक और कूड़ा करकट है और उसने भी हर तरह का सताव सहा।
लेकिन आज के मसीही लोग यह सोचते हैं कि हम कमेटियों का गठन कर लें बड़े-बड़े ग्रुप से बना ले जिससे हम संसार का सामना करेंगे लेकिन भाइयों सुन लो जो परमेश्वर का वचन जो कह रहा है वह पूरा होगा मसीहों पर सताव भी होगा दुख भी सहने होंगे निंदा भी सहनी होगी सब कुछ होगा यह न सोचे कि मसीह लोग बड़े-बड़े संगठन बना ले और सामना करने के लिए सामने आ जाएंगे, ऐसा करने से स्मरण रखें हम अपनी आत्मिकता को गवाएंगे।
हां यह सही है हम अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं हम अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलजुल कर चल सकते हैं लेकिन जब हम राजनीतिक तरीके से आगे बढ़ना शुरू कर देंगे तो हम फसेंगे हमें दूसरे लोगों के साथ हाथ मिलाना पड़ेगा उनके तौर तरीकों में शामिल होना पड़ेगा ताकि हम उन्हें अपने साथ मिला सके और ऐसा ही आज हुआ है और हो रहा है।
इसलिए मसीही विश्वासियों और पास्टरो को आत्मिकता की ओर परमेश्वर के राज्य की बातों की ओर ज्यादा ध्यान देना चाहिए ना कि सांसारिक बातों की ओर
जितना हम सांसारिक तौर तरीके अपनाएंगे उतना हम मसीह से दूर होते जाएंगे और यकीन मानिए शैतान यही चाहता है शैतान हमें उलझाना चाहता है शैतान हमें आक्रामक बनाना चाहता है ताकि हम उस बुलाहट को जो बाइबल के अनुसार है भूल जाए और सांसारिक तोर तारीको में लग जाए।
मैं बस वही बात रखना चाहता हूँ जो हर सच्चे मसीही और हर पास्टर के जीवन में होनी चाहिए, और यह बात सिर्फ एक व्यक्ति के लिए नहीं, हम सब के लिए है।
बाकी एक बात स्मरण रखें जो गलत है वह गलत है जो बाइबल के अनुसार नहीं है वह गलत है पाप हैं
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1. परमेश्वर के वचन के साथ कोई समझौता नहीं
हम वचन के साथ कभी खिलवाड़ नहीं कर सकते। बाइबल हमें नहीं कहती कि हम सांसारिक मुद्दों में ही उलझे रहें या दुनियावी ढंग अपनाएँ।
पौलुस ने साफ बोला, “मैंने सब कुछ उसके (मसीह) लिये हानि ही नहीं, कूड़ा-करकट समझा…” (फिलिप्पियों 3 : 8)
उसने सताव सहा, ताने सहे, लेकिन आत्मिकता नहीं छोड़ी — यही हमारा मापदण्ड है।
2. बड़ी-बड़ी कमेटियाँ बना लेने से बात नहीं बनेगी
आज कुछ लोग सोचते हैं कि बड़े ग्रुप बनाकर, कमेटियाँ बनाकर, हम दुनिया का सामना कर लेंगे। पर सुनो, “हमारा संघर्ष लोेगों से नहीं, बल्कि अधिकारों और अन्धकार के हाकिमों से है।” (इफिसियों 6 : 12)
जब हम सिर्फ राजनीतिक चालें चलेंगे, तो हमें दूसरों के तौर-तरीकों में हाथ मिलाना पड़ेगा — और वहीं हम फँस जाएँगे।
3.आत्मिकता सबसे पहले
यीशु ने कहा, “पहले तुम परमेश्वर का राज्य और उसकी धार्मिकता ढूँढ़ो, बाक़ी सब तुम्हें मिल जाएगा।” (मत्ती 6 : 33)
जितना ज़्यादा हम सांसारिक तरकीबें अपनाएँगे, उतना मसीह से दूर जाएंगे। यही शैतान चाहता है — अलझा दो, भटका दो, ताकि वचन (बाइबल) भूल जाएँ और दुनियावी जुगाड़ में लग जाएँ।
4. अपने हक के लिये खड़े होना गलत नहीं, पर तरीक़ा मसीही हो
पौलुस ने रोमी नागरिकता का हक भी इस्तेेमाल किया (प्रेरितों 23)। मगर उसने वह भी नम्रता और सत्य में किया उसने कभी लोगों के बीच में जाकर उनके जैसा नहीं बना। “सब काम तुम्हारे बीच प्रेम से हों।” (1 कुरिन्थियों 16 : 14)
5. एकता का मक़सद संगठन नहीं, आत्मिक बल है
“देखो, भाइयों का एकता में रहना कितना भला है!” (भजन 133 : 1)
हम एक-दूसरे का हाथ थामें, पर ध्यान रहे — ताक़त हमारा संगठन नहीं, पवित्र आत्मा है।
6. सताव आएगा, घबराना नहीं
यीशु ने कहा, “अगर उन्होंने मुझे सताया तो तुम्हें भी सताएँगे।” (यूहन्ना 15 : 20)
फिर वहीं पर भरोसा भी दिया, “हियाव बाँधो, मैंने संसार पर जय पाई है।” (यूहन्ना 16 : 33)
यीशु के शिष्य भी सब कर सकते थे लेकिन उन्होंने आत्मिक तरीका ही अपनाया लेकिन आज हम क्या करते हैं और क्या कर रहे हैं।
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आख़िर में
भाइयों-बहनों, हमारा बुलावा राजनीतिक कुर्सी नहीं, आत्मिक गवाही है। हमारा लक्ष्य दुनिया की तालियाँ नहीं, मसीह की समानता है। जितना हम वचन में टिके रहेंगे, उतना ही “हमारा भीतरी मनुष्य दिन-प्रतिदिन नया होता रहेगा।” (2 कुरिन्थियों 4 : 16)
प्रभु हमें बुद्धि भी दे और सामर्थ भी, कि हम इसी मार्ग पर अडिग रहें।
आमीन।
Pastor Manish Salhotra
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